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Friday, 17 February 2012

वीर शेरोमानी नाथाजी 


राजस्थान के राजपूतों मैं जयपुर राज्य के कछावा वंश की 'नाथावत'सखा के संस्तापक व् युगपुरुष 'नाथाजी' तत्कालीन आमेर नरेश प्रथ्विपाल के चोथे पुत्र श्री गोपाल के बड़े पुत्र थे !इनका जनम गोपाल जी की पहली पत्नी सत्यभामा जदुनी(करोली रजा उद्द्करण की पुत्री ) की कोख से 1582 वी.सम. को हुआ!
      नाथाजी सम्वंत 1621 मैं इनके के देहांत के बाद समोद की गद्दी पर बठे !नाथाजी  १६१७ मैं   कुंवर पदवी  मैं ही आमेर के रजा भगवानदास के साथ अहमदाबाद मैं मुज़फर्शाह पर हमला करने गए तथा उस लड़ाई मैं बड़ी बहदुरी देखाई तथा इस युद्ध मैं इनका खडग टूट गया था,तो भी इन्होने अद्भुद वीरता का परिचय देते हुए मुज़फर्शाह को पकड़कर आगरा मैं कैद करदिया !इन्होने सूरत और खम्भात की लड़ी मैं भी वीरता देखाई !आमेर के कच्छावो ने पहली बार समुद्र को समीप से देखा था !नाथ जी ने खम्बत  के अहमद हुस्सेन का सर कटा था !अथ इस घटना को नेगाह मैं रख कर चाँद कवी ने अपने 'नाथावंश प्रकाश'पघ 12 मैं लिखा है की 'नाथाजी की सुयश गाथा पहुची नीधी पाय लगी' 'अकबर के साथ हाथ देखए समर मैं'वंशावली मैं लिखा है की नाग  फनी उसी समय आमेर मैं आयी थी !महाराज कुंवर मन सिंह की साथ नाथ जी ने 3 लड़ाई लड़ी थी !नाथ जी सदा उनके सहयोगी रही !
        नाथ जी का स्वर्वास सम्वंत 1640 मैं हुआ था !नाथ जी ने दो वीवाह कीये थे !प्रथम रानी नोरंग चौहान जी (गंगारण)के राव शेर सिंह जी की पुत्री व् दूसरा वीवाह लक्स्मावती सोलाकानी जी पुत्री टोडाभीम के राव देवकरण से हुआ !


नाथ जी के आठ पुत्र :-
1.श्री मनोहरदास जी - पहले समोद फिर हदोता के जागीरदार बने !इनके वंसज 'मनोहर्दासोत' कहलाते है !वर्त्तमान चोमू वाले इनके वंसज है !
2 .श्री रामसहाय जी मोरीजा  के मालिक हुए !इनके वंसज 'राम्सह्य्जी' कहलाते हैं !इतवा भोपजी,पच्कोदिया,डूंगरी,कलवाडा भी इनमे शामिल हैं !
3 .तीसरे पुत्र केसोदास जी बीचुन के मालिक हुए !इनके वंसज केसोद्सोत कहलाते हैं !
4 .चोथे पुत्र बिहारीदास जी पहले तो बादशाह  की सेवा मैं गज्निगढ़ के राजा रहे,फिर महाराज भावसिंह के अनुरोध पर समोद के राजा हुए !
5 .पांचवे पुत्र जसवंत सींह जी जसुता बैठे ,मुन्दोतावाले इनके वंसज हैं !
6 .दवार्कादास जी
7 .श्यामदास जी
8 .बनमाली जी के कोई पुत्र नहीं हुआ !
   


Thursday, 16 February 2012

तनोट माता (नाग्नेची माता ) 






राजस्थान की स्वरण नगरी जैसलमेर राज्य के चेलक नवासी मायद्याजी की प्रथम संतान के रूप मैं विक्रम सम्वंत 808 चेत्र सुदी नवमी मंगलवार को मतेस्वारी अवाड़ देवी माता तनोट राय का जनम हुआ !इनके बाद जन्मी माता की छह बहनों के नाम आशी .सेसी ,गेहली,होल व् लांग था !अपने अवतरण के बाद माँ अवाड़ ने अनेक चमत्कार दीखाए तथा कलानटर मैं माता नाग्नेची,काले दुन्ग्रय,भोजसरी,देग्राय,तेमद्राय,घत्याल माता व् तनोटराय नाम से प्रसिद्ध हुए !

       तनोट के अंतिम रजा भाटी तनुराव ने विक्रम सम्वंत 847 मैं तानोत्गढ़ की नीव रखी तथा वी.सं.888 मैं दुराग व् मंदिर की प्रतिस्था करवाई !सन 1965 मैं भारत-पाक युद्ध मैं पाक सेना ने मंदिर व् आस-पास के परिसर मैं करीब 3000 बंब बरसाए जिसमे से करीब 450 गोले मंदिर पर बरसाए गए थे !
        दिलचस्प तो ये है की उनमे से अधिकांस गोले तो फटे ही नहीं !मंदिर परिक्रमा के पास ही महादेव जी का विग्रह है !महादेव मंदिर के पास कांच के शो केस मैं जीवीत बम्ब रखे हैं !साथ ही भारत-पाक युद्ध के फोटो भी टंगे हुए हैं !
       माता के चमत्कार का लोहा पाकिस्तान के जवानों व् अफसरों ने भी मन !बेर्गेअदियर शाहनवाज़  ने श्रधा स्वरुप माता के मंदिर मैं चाँदी का छत्र भेट किया था,जो आज भी मंदिर मैं है !इसी प्रकार 1971 के युद्ध मैं भी माता के आशीर्वाद से दुश्मनों के होसले पस्त हुए थे !शत्रु ने लोंगेवाला पर आक्रमण किया था !मगर माता तानोत्रय की कृपा से भारतीय फौज ने लोगेवाला को पाक के तनको और गाड़ियों का कब्रिस्तान बना देय.!अतः माता श्री तनोटराय भारतीय सेना व् सीमा सुरक्षा बल के जवानों की रग-रग मैं समायी हुए हैं !माता जवानों की श्रधा व् आस्था का प्रतीक है !1965 मैं सुरक्षा बल ने यहाँ पर सीमा चोकी को स्तापित कर इस मंदिर की पूजा अर्चना का जीम्मा ले लिया !
         स धार्मिक व् एतेहेअसिक स्थल के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं !रामगढ-किशनगढ़ रोड पर जैसलमेर से 120 कीलो मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्तिथ है !शुकल पक्ष की चतुर्दशी को यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता हैं !मंदिर मैं आरती व् वय्वस्ता फौजी भाइयों दवारा की जाते हैं !