वीर शेरोमानी नाथाजी
राजस्थान के राजपूतों मैं जयपुर राज्य के कछावा वंश की 'नाथावत'सखा के संस्तापक व् युगपुरुष 'नाथाजी' तत्कालीन आमेर नरेश प्रथ्विपाल के चोथे पुत्र श्री गोपाल के बड़े पुत्र थे !इनका जनम गोपाल जी की पहली पत्नी सत्यभामा जदुनी(करोली रजा उद्द्करण की पुत्री ) की कोख से 1582 वी.सम. को हुआ!
नाथाजी सम्वंत 1621 मैं इनके के देहांत के बाद समोद की गद्दी पर बठे !नाथाजी १६१७ मैं कुंवर पदवी मैं ही आमेर के रजा भगवानदास के साथ अहमदाबाद मैं मुज़फर्शाह पर हमला करने गए तथा उस लड़ाई मैं बड़ी बहदुरी देखाई तथा इस युद्ध मैं इनका खडग टूट गया था,तो भी इन्होने अद्भुद वीरता का परिचय देते हुए मुज़फर्शाह को पकड़कर आगरा मैं कैद करदिया !इन्होने सूरत और खम्भात की लड़ी मैं भी वीरता देखाई !आमेर के कच्छावो ने पहली बार समुद्र को समीप से देखा था !नाथ जी ने खम्बत के अहमद हुस्सेन का सर कटा था !अथ इस घटना को नेगाह मैं रख कर चाँद कवी ने अपने 'नाथावंश प्रकाश'पघ 12 मैं लिखा है की 'नाथाजी की सुयश गाथा पहुची नीधी पाय लगी' 'अकबर के साथ हाथ देखए समर मैं'वंशावली मैं लिखा है की नाग फनी उसी समय आमेर मैं आयी थी !महाराज कुंवर मन सिंह की साथ नाथ जी ने 3 लड़ाई लड़ी थी !नाथ जी सदा उनके सहयोगी रही !
नाथ जी का स्वर्वास सम्वंत 1640 मैं हुआ था !नाथ जी ने दो वीवाह कीये थे !प्रथम रानी नोरंग चौहान जी (गंगारण)के राव शेर सिंह जी की पुत्री व् दूसरा वीवाह लक्स्मावती सोलाकानी जी पुत्री टोडाभीम के राव देवकरण से हुआ !
नाथ जी के आठ पुत्र :-
1.श्री मनोहरदास जी - पहले समोद फिर हदोता के जागीरदार बने !इनके वंसज 'मनोहर्दासोत' कहलाते है !वर्त्तमान चोमू वाले इनके वंसज है !
2 .श्री रामसहाय जी मोरीजा के मालिक हुए !इनके वंसज 'राम्सह्य्जी' कहलाते हैं !इतवा भोपजी,पच्कोदिया,डूंगरी,कलवाडा भी इनमे शामिल हैं !
3 .तीसरे पुत्र केसोदास जी बीचुन के मालिक हुए !इनके वंसज केसोद्सोत कहलाते हैं !
4 .चोथे पुत्र बिहारीदास जी पहले तो बादशाह की सेवा मैं गज्निगढ़ के राजा रहे,फिर महाराज भावसिंह के अनुरोध पर समोद के राजा हुए !
5 .पांचवे पुत्र जसवंत सींह जी जसुता बैठे ,मुन्दोतावाले इनके वंसज हैं !
6 .दवार्कादास जी
7 .श्यामदास जी
8 .बनमाली जी के कोई पुत्र नहीं हुआ !
राजस्थान के राजपूतों मैं जयपुर राज्य के कछावा वंश की 'नाथावत'सखा के संस्तापक व् युगपुरुष 'नाथाजी' तत्कालीन आमेर नरेश प्रथ्विपाल के चोथे पुत्र श्री गोपाल के बड़े पुत्र थे !इनका जनम गोपाल जी की पहली पत्नी सत्यभामा जदुनी(करोली रजा उद्द्करण की पुत्री ) की कोख से 1582 वी.सम. को हुआ!
नाथाजी सम्वंत 1621 मैं इनके के देहांत के बाद समोद की गद्दी पर बठे !नाथाजी १६१७ मैं कुंवर पदवी मैं ही आमेर के रजा भगवानदास के साथ अहमदाबाद मैं मुज़फर्शाह पर हमला करने गए तथा उस लड़ाई मैं बड़ी बहदुरी देखाई तथा इस युद्ध मैं इनका खडग टूट गया था,तो भी इन्होने अद्भुद वीरता का परिचय देते हुए मुज़फर्शाह को पकड़कर आगरा मैं कैद करदिया !इन्होने सूरत और खम्भात की लड़ी मैं भी वीरता देखाई !आमेर के कच्छावो ने पहली बार समुद्र को समीप से देखा था !नाथ जी ने खम्बत के अहमद हुस्सेन का सर कटा था !अथ इस घटना को नेगाह मैं रख कर चाँद कवी ने अपने 'नाथावंश प्रकाश'पघ 12 मैं लिखा है की 'नाथाजी की सुयश गाथा पहुची नीधी पाय लगी' 'अकबर के साथ हाथ देखए समर मैं'वंशावली मैं लिखा है की नाग फनी उसी समय आमेर मैं आयी थी !महाराज कुंवर मन सिंह की साथ नाथ जी ने 3 लड़ाई लड़ी थी !नाथ जी सदा उनके सहयोगी रही !
नाथ जी का स्वर्वास सम्वंत 1640 मैं हुआ था !नाथ जी ने दो वीवाह कीये थे !प्रथम रानी नोरंग चौहान जी (गंगारण)के राव शेर सिंह जी की पुत्री व् दूसरा वीवाह लक्स्मावती सोलाकानी जी पुत्री टोडाभीम के राव देवकरण से हुआ !
नाथ जी के आठ पुत्र :-
1.श्री मनोहरदास जी - पहले समोद फिर हदोता के जागीरदार बने !इनके वंसज 'मनोहर्दासोत' कहलाते है !वर्त्तमान चोमू वाले इनके वंसज है !
2 .श्री रामसहाय जी मोरीजा के मालिक हुए !इनके वंसज 'राम्सह्य्जी' कहलाते हैं !इतवा भोपजी,पच्कोदिया,डूंगरी,कलवाडा भी इनमे शामिल हैं !
3 .तीसरे पुत्र केसोदास जी बीचुन के मालिक हुए !इनके वंसज केसोद्सोत कहलाते हैं !
4 .चोथे पुत्र बिहारीदास जी पहले तो बादशाह की सेवा मैं गज्निगढ़ के राजा रहे,फिर महाराज भावसिंह के अनुरोध पर समोद के राजा हुए !
5 .पांचवे पुत्र जसवंत सींह जी जसुता बैठे ,मुन्दोतावाले इनके वंसज हैं !
6 .दवार्कादास जी
7 .श्यामदास जी
8 .बनमाली जी के कोई पुत्र नहीं हुआ !