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Thursday, 16 February 2012

तनोट माता (नाग्नेची माता ) 






राजस्थान की स्वरण नगरी जैसलमेर राज्य के चेलक नवासी मायद्याजी की प्रथम संतान के रूप मैं विक्रम सम्वंत 808 चेत्र सुदी नवमी मंगलवार को मतेस्वारी अवाड़ देवी माता तनोट राय का जनम हुआ !इनके बाद जन्मी माता की छह बहनों के नाम आशी .सेसी ,गेहली,होल व् लांग था !अपने अवतरण के बाद माँ अवाड़ ने अनेक चमत्कार दीखाए तथा कलानटर मैं माता नाग्नेची,काले दुन्ग्रय,भोजसरी,देग्राय,तेमद्राय,घत्याल माता व् तनोटराय नाम से प्रसिद्ध हुए !

       तनोट के अंतिम रजा भाटी तनुराव ने विक्रम सम्वंत 847 मैं तानोत्गढ़ की नीव रखी तथा वी.सं.888 मैं दुराग व् मंदिर की प्रतिस्था करवाई !सन 1965 मैं भारत-पाक युद्ध मैं पाक सेना ने मंदिर व् आस-पास के परिसर मैं करीब 3000 बंब बरसाए जिसमे से करीब 450 गोले मंदिर पर बरसाए गए थे !
        दिलचस्प तो ये है की उनमे से अधिकांस गोले तो फटे ही नहीं !मंदिर परिक्रमा के पास ही महादेव जी का विग्रह है !महादेव मंदिर के पास कांच के शो केस मैं जीवीत बम्ब रखे हैं !साथ ही भारत-पाक युद्ध के फोटो भी टंगे हुए हैं !
       माता के चमत्कार का लोहा पाकिस्तान के जवानों व् अफसरों ने भी मन !बेर्गेअदियर शाहनवाज़  ने श्रधा स्वरुप माता के मंदिर मैं चाँदी का छत्र भेट किया था,जो आज भी मंदिर मैं है !इसी प्रकार 1971 के युद्ध मैं भी माता के आशीर्वाद से दुश्मनों के होसले पस्त हुए थे !शत्रु ने लोंगेवाला पर आक्रमण किया था !मगर माता तानोत्रय की कृपा से भारतीय फौज ने लोगेवाला को पाक के तनको और गाड़ियों का कब्रिस्तान बना देय.!अतः माता श्री तनोटराय भारतीय सेना व् सीमा सुरक्षा बल के जवानों की रग-रग मैं समायी हुए हैं !माता जवानों की श्रधा व् आस्था का प्रतीक है !1965 मैं सुरक्षा बल ने यहाँ पर सीमा चोकी को स्तापित कर इस मंदिर की पूजा अर्चना का जीम्मा ले लिया !
         स धार्मिक व् एतेहेअसिक स्थल के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं !रामगढ-किशनगढ़ रोड पर जैसलमेर से 120 कीलो मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्तिथ है !शुकल पक्ष की चतुर्दशी को यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता हैं !मंदिर मैं आरती व् वय्वस्ता फौजी भाइयों दवारा की जाते हैं ! 

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