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Saturday, 10 March 2012

मेजर शैतान सींह जी 
परमवीर चक्र वीजेता


                                                   मेजर शेतन सींह जी का स्मारक चासुल






राजपुताना के वीर सपूत को शर्धांजली :-



मेजर शेतान सींह का जन्म 1 दिसम्बर  1942 को जोधपुर ,राजस्थान मैं  Lieutenant Colonel हेम सींह जी के यहं हुआ था !आप 1 अगस्त 1949 को कुमाओं रेगेमेंट मैं भर्ती हुए !भारत-चाइना युद्ध के समय आप की रेजीमेंट को 5000 मीटर की ऊंचाई पर रजंग ला  की महत्वपूर्ण मोर्चे पर तेनत कीया गया !उस मोर्चे की कमान आप के हाथो मैं थी !  18 नवम्बर की सुबह चाइना का पहला हमला हुआ !सुबह की दुहंद का फायदा लेते हुए चाइना के फौज मोर्चे की aतरफ बढ़ रही थी !

  आप और आपके सीपाही aदुश्मन क सामना करने के लिए टायर थे !जेसी ही दुश्मन दीखाई दिया भारत्य जवानों ने अपने बंदूको,मशीन  गुण,मोर्टार आदी से दुश्मन पर हमला बोल देय !दुश्मनों की लाशो के ढेर लग गए !पर दुश्मन ने चट्टानों और लाशो के पीछे छूप कर मोर्चा संभल लिया !दुश्मन ने तोपखाने व् मोर्टार से हमला बोल देया !इस बार चाइना के 350 सेनिक हमला करने के लीये बढे !नए रणनीती के तहत आप ने दुश्मन के पास आने तक इंतजार कीया व् यौध मदन को दुश्मन के शवो से ढक देया !
       सामने के हमले मैं वेफल होने के बाद दुसमन के 500 सेनीको ने आप की दोनों पोस्टो पर पीछे  से हमला कीया !इसी के साथ भरी गोला भारी भी होती रही !आप ने व् आप की पलटून ने अद्मय सहस का परिचय देते हुवे दुश्मन के हमले का मुहतोड़ जवाब देया !आप की 1 पलटून इस युद्ध मैं शहीद हो गई !जब गोला बारूद ख़तम होने लगा तो आप व् आपके जवान दुश्मन पर अपने संगीनों से टूट पड़े !
      इस लड़ाई के दोरान आप एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर जाकर जवानों का होसला बढ़ाते रहे !इस दोरान आप गंभी रूप से घायल  हो गए !पर अपने अदम्य सहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दीये!जब आप gambhiर रूप से घयल थे और जवानों ने आप को सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहा उस समय दुश्मन ने मशीन गुण से उन पर गोली बारी कर दे !आप ने जवानों को आदेश देय की मुझे चट्टान के पेचे बैठा दो और तुम यहाँ से जाओ !इस तरह आप अपनी आखेरी सान्स तक मोर्चे पर डेट रहे !इस युद्ध मैं आप की पलटून के 123 में से 109 जवान शहीद हुए जिनमे से आप भी थे !दुश्मनों के बहुत से जवान भी हलाक हुए !आप की रणनीती और होस्लाफ्जई की वजह से सीमित संसाधन होते हुए भी आप की पलटून ने अदम सहस का परिचय देय !लड़ाई ख़तम होने के बाद आप का शव उसी जगह पर मिला जहाँ आप को अंतिम बार आदेशानुसार छोड़ा गया था !
         मेजर शेतान सींह जी को उनके अदम्य सहस के लीये मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान कीया गया!




मेजर शेतान सींह जी के अदम्य साहस,नेत्रत्व और कर्तव् पर्यन्त की वजह से ही आप की पलाटून आखरी दम तक लड़ी !


     

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