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Friday, 30 March 2012

                    ठाकुर दुर्गा सिंह गहलोत 
               (स्वतंत्रता संग्राम के पहले राजपूत क्रांतिकारी )




महाराणा प्रताप के वंसज ठाकुर दुर्गा सिंह जी भी अपने पूर्वजो के तरह देश के लिए शहीद हुए !मात्रभूमि की रक्षा के लिए वे ही नहीं उनका वफादार कुत्ता भी गोली खा अमर हुआ !
    धोलाना गाँव जो की गाजिय्बाद मैं स्थित है ,जिसे राजा चुड्मल द्वारा विक्रम सम्वंत 1384 वैशाख शुदी पंचम दिन बसाया गया था !ये राणा प्रताप के वंसज थे व् चित्तोड़ से आकर यहाँ बसे थे !धोलाना से 60 गाँव बसे जिस वजह से यह क्षेत्र साठा कहलाया !क्योकि मुक्य गाँव धोलाना था इस कारन से यह गाँव "चोधर का गाँव "कहलाया !60 गाँवों मैं इन्ही की पगड़ी बांधती हैं !
    राजा चुड्मल की 8 वि पीढ़ी तक इनके वंसज राजा कहलाये पर 9 वि पीढ़ी मैं राणा चंचल सिंह गहलोत को 60 गाँव के "चोधरी"की उपाधि दी गयी !इनका साठे मैं विशेष सम्मान हैं !आज भी गाँव की सभी परम्परये इन्ही के घर से शुरू होती हैं !चौधरी चंचल सिंह राणा के दो पुत्र हुए !बड़े नोनिधि सिंह व् छोटे दुर्गा सिंह !दोनों ही बड़े वीर थे !बड़े पुत्र नोनिधि सिंह अपने पिता के पास रहे व् दुर्गा सिंह शिक्षा ग्रहण करने हेतु इंग्लैंड चले गए !उन दिनों अंग्रेजो का अत्याचार चरम पर था !भारतीयों पर हर जगह अत्यचार हो रहा था ,जिसे उन्होंने इंग्लैंड जाने पर महसूस किया !वो अपने शिक्षा बीच मैं छोड़ कर वापस आगये !यहाँ आ कर उन्होंने राजपूत युवको का दल बनाया !इस दल का लक्ष्य देश को आजाद करवाना था !सभी ने मात्र भूमि के लिए कसम खाए !चौधरी साहब की घुडसाल व् हाथी खाने मैं बैठक होने लगी !जहाँ बैठक होती थी उसे आज भी लोग टप्पा कहते है !टप्पा अंग्रेजो को चकमा देने के लिए गूढ़ शब्द था !उस समय धोलाना मेरठ जीले की तहसील थी !मेरठ मैं जब मंगल पण्डे ने वेद्रोह किया तो उसकी खबर दुर्गा सिंह तक भी पहुची !उन्होंने अपने दल को इकठा किया और कहा की अब्ब चुप बेठना देश के साथ गद्दारी होगी तो सभी ने पुचा की हमे क्या करना चाहेये ?दुर्गा सिंह ने कहा की "मेरी योजना है की तहसील और थाने को अग्ग लगा कर गोरो को उसे मैं जला दे "!दुर्गा सिंह ने सभी को सुबह टायर रहने को कहा !जिसमे तेरह राजपूत व् एक बनया था !सभी देश भक्ति की भावना से भरे हुए थे !
      11 मई 1857  की सुबह सभी टप्पे मैं इकट्टे हुए और अपने अराद्य शिव को नमन कर हर हर महादेव का जय घोष करते हुए तहसील की तरफ बढे और उसे गोरो सहित जला देय,इसके बाद थाने पहुच कर इंचार्ज सहित थाने को भी सवः कर दीया !
     इसके बाद सभी देल्ही की तरफ चल दिए !लाला किले पर गोरो का झंडा लगा हुआ था !वहां दुर्गा सिंह के बड़े भाई नोनिधि सिंह राणा ने उनिओन जेक्क उतर कर फाड़ दीया !और अपने केसर्य पगड़ी को लहरा दीया !तभी किसी गोरे ने गोली चला दे जिसके कारन नोनिधि सिंह राणा वीर गति को प्राप्त हुए !
   इस गठना के 8 माह बाद 21 दिसम्बर 1857 को अंग्रेज ऑफिसर डेनियल किसी गद्दार की सूचना अ अनुसार धोलाना मैं अपनी फोज सहित सूरज उगने से पहले पहुच गया और गाँव को घेर लिया !गाँव मैं दुर्गा सिंह और उनके वफादार साथी तेज सिंह के बारे मैं पूछा जाने लगा !सभी क्रांति करी चाहते थे की दुर्गा सिंह बचे रहे क्योकि उनके बड़े भाई पहले ही सहीद हो चुके थे !दूसरा कारन उन्हें बचने का यह था की उनके बाद उनका दल नेत्रत्व हिन् हो जायेगा आपका जिन्दा रहना जरुरी हैं !आप अगेर रहे तो गोरो का फिर से सामना करेंगे !पर दुर्गा सिंह तेज सिंह के वृद्ध पता तथा उनकी नव विवाहेता पत्नी की बेज्जती बर्दस्थ नहीं कर सके और सवम सामने आगये !डेनियल ने दुर्गा सिंह को बागी कहा तब आप ने कहा के मैं बागी नहीं क्रांतिकारी हूँ !डेनियल ने दुर्गा सिंह को कहा की अगर तुम माफ़ी मांगो तो तुम्हे छोड़ सकता हूँ !तब दुर्गा सिंह ने उससे कहा की अपनी जबान को लगाम दे !हम महराना प्रताप के वंसज हैं ,प्राणों के डर से माफ़ी नहीं मांगने वाली और इसे के साथ लात मर कर डेनियल को गिरा दीया व् उसके मुह पर ठुक दीया !अपमानित डेनियल ने दुर्गा संघ पर कोड़े बरसाने का आदेश दीया पर दुर्गा सिंह "वन्दे मातरम व् भारत माता की जय "का घोष  करने लगे !डेनियल इससे गुस्सा हो गया और दुर्गा सिंह को फंसी पर लटकाने का आदेश दे दीया !दुर्गा सिंह के गले मैं फंसी का फंदा दाल दीया गया !ठाकुर दुर्गा सिंह का चेहरा जोशा से भरा हुआ था !सभी क्रांति करी उनके साथ देश भक्ति गीत गा रहे थे तभी उनके वफादार कुत्ते ने देंयल पर हमला बोल दीया ,और उसे काट लिया !डेनियल एक पल के लिए घबरा गया !अपमान से कांपते हुए डेनियल ने कुत्ते को गोली मर दे व् दुर्गा सिंह को फांसी दे दी गयी !इसके बाद मकदूम सिंह,जीना सिंह,दोलत सिंह,चन्दन सिंह,वजीर सिंह चौहान,तेज सिंह,सुमेर सिंह,किद्दा सिंह ,वसंत सिंह,साहब सिंह,बलवीर सिंह व् लाला झनकूमॉल को भी फांसी दे दी गई !पुरे दिन गाँव मैं लूट पाट,आगजनी व् बलात्कार  का दमन चक्र चलता रहा !इसके बाद अंग्रेज वहां से चले गए !
      चौधरी चंचल सिंह के दोनों पुत्र मात्र भूमि पर बलि चढ़ गए तथा चौधरी साहब की जमीदारी छीन ली गयी !गाँव को गोरो ने अपने अधीन कर लिया !गोरो के जाने के बाद चौधरी साहब ने अपने वफादारो के साथ उन 14 सपूतो को गड्ढे से बहार नकल कर उनका सामूहिक दह संस्कार किया !जिस जगह इन वीरो का दह संस्कार हुआ था वहां पर एक मद टायर करदे गई !जिसका नाम क्षत्रिय दीया गया !जो आज छत्री के नाम से जानी जाती है जो क्षत्रिय का बिगड़ा हुआ रूप हैं !


उन वीर सपूतो को नमन है जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान मात्रभूमि की लिए किया !



Saturday, 10 March 2012

मेजर शैतान सींह जी 
परमवीर चक्र वीजेता


                                                   मेजर शेतन सींह जी का स्मारक चासुल






राजपुताना के वीर सपूत को शर्धांजली :-



मेजर शेतान सींह का जन्म 1 दिसम्बर  1942 को जोधपुर ,राजस्थान मैं  Lieutenant Colonel हेम सींह जी के यहं हुआ था !आप 1 अगस्त 1949 को कुमाओं रेगेमेंट मैं भर्ती हुए !भारत-चाइना युद्ध के समय आप की रेजीमेंट को 5000 मीटर की ऊंचाई पर रजंग ला  की महत्वपूर्ण मोर्चे पर तेनत कीया गया !उस मोर्चे की कमान आप के हाथो मैं थी !  18 नवम्बर की सुबह चाइना का पहला हमला हुआ !सुबह की दुहंद का फायदा लेते हुए चाइना के फौज मोर्चे की aतरफ बढ़ रही थी !

  आप और आपके सीपाही aदुश्मन क सामना करने के लिए टायर थे !जेसी ही दुश्मन दीखाई दिया भारत्य जवानों ने अपने बंदूको,मशीन  गुण,मोर्टार आदी से दुश्मन पर हमला बोल देय !दुश्मनों की लाशो के ढेर लग गए !पर दुश्मन ने चट्टानों और लाशो के पीछे छूप कर मोर्चा संभल लिया !दुश्मन ने तोपखाने व् मोर्टार से हमला बोल देया !इस बार चाइना के 350 सेनिक हमला करने के लीये बढे !नए रणनीती के तहत आप ने दुश्मन के पास आने तक इंतजार कीया व् यौध मदन को दुश्मन के शवो से ढक देया !
       सामने के हमले मैं वेफल होने के बाद दुसमन के 500 सेनीको ने आप की दोनों पोस्टो पर पीछे  से हमला कीया !इसी के साथ भरी गोला भारी भी होती रही !आप ने व् आप की पलटून ने अद्मय सहस का परिचय देते हुवे दुश्मन के हमले का मुहतोड़ जवाब देया !आप की 1 पलटून इस युद्ध मैं शहीद हो गई !जब गोला बारूद ख़तम होने लगा तो आप व् आपके जवान दुश्मन पर अपने संगीनों से टूट पड़े !
      इस लड़ाई के दोरान आप एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर जाकर जवानों का होसला बढ़ाते रहे !इस दोरान आप गंभी रूप से घायल  हो गए !पर अपने अदम्य सहस का परिचय देते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे कर दीये!जब आप gambhiर रूप से घयल थे और जवानों ने आप को सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहा उस समय दुश्मन ने मशीन गुण से उन पर गोली बारी कर दे !आप ने जवानों को आदेश देय की मुझे चट्टान के पेचे बैठा दो और तुम यहाँ से जाओ !इस तरह आप अपनी आखेरी सान्स तक मोर्चे पर डेट रहे !इस युद्ध मैं आप की पलटून के 123 में से 109 जवान शहीद हुए जिनमे से आप भी थे !दुश्मनों के बहुत से जवान भी हलाक हुए !आप की रणनीती और होस्लाफ्जई की वजह से सीमित संसाधन होते हुए भी आप की पलटून ने अदम सहस का परिचय देय !लड़ाई ख़तम होने के बाद आप का शव उसी जगह पर मिला जहाँ आप को अंतिम बार आदेशानुसार छोड़ा गया था !
         मेजर शेतान सींह जी को उनके अदम्य सहस के लीये मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान कीया गया!




मेजर शेतान सींह जी के अदम्य साहस,नेत्रत्व और कर्तव् पर्यन्त की वजह से ही आप की पलाटून आखरी दम तक लड़ी !


     

Friday, 17 February 2012

वीर शेरोमानी नाथाजी 


राजस्थान के राजपूतों मैं जयपुर राज्य के कछावा वंश की 'नाथावत'सखा के संस्तापक व् युगपुरुष 'नाथाजी' तत्कालीन आमेर नरेश प्रथ्विपाल के चोथे पुत्र श्री गोपाल के बड़े पुत्र थे !इनका जनम गोपाल जी की पहली पत्नी सत्यभामा जदुनी(करोली रजा उद्द्करण की पुत्री ) की कोख से 1582 वी.सम. को हुआ!
      नाथाजी सम्वंत 1621 मैं इनके के देहांत के बाद समोद की गद्दी पर बठे !नाथाजी  १६१७ मैं   कुंवर पदवी  मैं ही आमेर के रजा भगवानदास के साथ अहमदाबाद मैं मुज़फर्शाह पर हमला करने गए तथा उस लड़ाई मैं बड़ी बहदुरी देखाई तथा इस युद्ध मैं इनका खडग टूट गया था,तो भी इन्होने अद्भुद वीरता का परिचय देते हुए मुज़फर्शाह को पकड़कर आगरा मैं कैद करदिया !इन्होने सूरत और खम्भात की लड़ी मैं भी वीरता देखाई !आमेर के कच्छावो ने पहली बार समुद्र को समीप से देखा था !नाथ जी ने खम्बत  के अहमद हुस्सेन का सर कटा था !अथ इस घटना को नेगाह मैं रख कर चाँद कवी ने अपने 'नाथावंश प्रकाश'पघ 12 मैं लिखा है की 'नाथाजी की सुयश गाथा पहुची नीधी पाय लगी' 'अकबर के साथ हाथ देखए समर मैं'वंशावली मैं लिखा है की नाग  फनी उसी समय आमेर मैं आयी थी !महाराज कुंवर मन सिंह की साथ नाथ जी ने 3 लड़ाई लड़ी थी !नाथ जी सदा उनके सहयोगी रही !
        नाथ जी का स्वर्वास सम्वंत 1640 मैं हुआ था !नाथ जी ने दो वीवाह कीये थे !प्रथम रानी नोरंग चौहान जी (गंगारण)के राव शेर सिंह जी की पुत्री व् दूसरा वीवाह लक्स्मावती सोलाकानी जी पुत्री टोडाभीम के राव देवकरण से हुआ !


नाथ जी के आठ पुत्र :-
1.श्री मनोहरदास जी - पहले समोद फिर हदोता के जागीरदार बने !इनके वंसज 'मनोहर्दासोत' कहलाते है !वर्त्तमान चोमू वाले इनके वंसज है !
2 .श्री रामसहाय जी मोरीजा  के मालिक हुए !इनके वंसज 'राम्सह्य्जी' कहलाते हैं !इतवा भोपजी,पच्कोदिया,डूंगरी,कलवाडा भी इनमे शामिल हैं !
3 .तीसरे पुत्र केसोदास जी बीचुन के मालिक हुए !इनके वंसज केसोद्सोत कहलाते हैं !
4 .चोथे पुत्र बिहारीदास जी पहले तो बादशाह  की सेवा मैं गज्निगढ़ के राजा रहे,फिर महाराज भावसिंह के अनुरोध पर समोद के राजा हुए !
5 .पांचवे पुत्र जसवंत सींह जी जसुता बैठे ,मुन्दोतावाले इनके वंसज हैं !
6 .दवार्कादास जी
7 .श्यामदास जी
8 .बनमाली जी के कोई पुत्र नहीं हुआ !
   


Thursday, 16 February 2012

तनोट माता (नाग्नेची माता ) 






राजस्थान की स्वरण नगरी जैसलमेर राज्य के चेलक नवासी मायद्याजी की प्रथम संतान के रूप मैं विक्रम सम्वंत 808 चेत्र सुदी नवमी मंगलवार को मतेस्वारी अवाड़ देवी माता तनोट राय का जनम हुआ !इनके बाद जन्मी माता की छह बहनों के नाम आशी .सेसी ,गेहली,होल व् लांग था !अपने अवतरण के बाद माँ अवाड़ ने अनेक चमत्कार दीखाए तथा कलानटर मैं माता नाग्नेची,काले दुन्ग्रय,भोजसरी,देग्राय,तेमद्राय,घत्याल माता व् तनोटराय नाम से प्रसिद्ध हुए !

       तनोट के अंतिम रजा भाटी तनुराव ने विक्रम सम्वंत 847 मैं तानोत्गढ़ की नीव रखी तथा वी.सं.888 मैं दुराग व् मंदिर की प्रतिस्था करवाई !सन 1965 मैं भारत-पाक युद्ध मैं पाक सेना ने मंदिर व् आस-पास के परिसर मैं करीब 3000 बंब बरसाए जिसमे से करीब 450 गोले मंदिर पर बरसाए गए थे !
        दिलचस्प तो ये है की उनमे से अधिकांस गोले तो फटे ही नहीं !मंदिर परिक्रमा के पास ही महादेव जी का विग्रह है !महादेव मंदिर के पास कांच के शो केस मैं जीवीत बम्ब रखे हैं !साथ ही भारत-पाक युद्ध के फोटो भी टंगे हुए हैं !
       माता के चमत्कार का लोहा पाकिस्तान के जवानों व् अफसरों ने भी मन !बेर्गेअदियर शाहनवाज़  ने श्रधा स्वरुप माता के मंदिर मैं चाँदी का छत्र भेट किया था,जो आज भी मंदिर मैं है !इसी प्रकार 1971 के युद्ध मैं भी माता के आशीर्वाद से दुश्मनों के होसले पस्त हुए थे !शत्रु ने लोंगेवाला पर आक्रमण किया था !मगर माता तानोत्रय की कृपा से भारतीय फौज ने लोगेवाला को पाक के तनको और गाड़ियों का कब्रिस्तान बना देय.!अतः माता श्री तनोटराय भारतीय सेना व् सीमा सुरक्षा बल के जवानों की रग-रग मैं समायी हुए हैं !माता जवानों की श्रधा व् आस्था का प्रतीक है !1965 मैं सुरक्षा बल ने यहाँ पर सीमा चोकी को स्तापित कर इस मंदिर की पूजा अर्चना का जीम्मा ले लिया !
         स धार्मिक व् एतेहेअसिक स्थल के दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं !रामगढ-किशनगढ़ रोड पर जैसलमेर से 120 कीलो मीटर की दूरी पर यह मंदिर स्तिथ है !शुकल पक्ष की चतुर्दशी को यहाँ भव्य मेले का आयोजन होता हैं !मंदिर मैं आरती व् वय्वस्ता फौजी भाइयों दवारा की जाते हैं !